श्रापित कुंड़ली: ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य की कुंड़ली का बहुत महत्व होता है। इसके आधार पर ही ज्योतिष भविष्य के बारे में अध्ययन करते हैं। यह जीवन में चल रही गतिविधियों के बारें में भी बताती है। हिंदू धर्म में कुंड़ली को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि सभी शुभ कार्य जैसेकि शादी, कुंड़ली मिलान, बच्चों का नामकरण, आदि इसके अध्यन्न से ही किए जाते हैं। किसी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए कुंड़ली बेहतर विकल्प हो सकता है।
कई बार कुछ अशुभ योग के कारण कुंड़ली श्रापित हो जाती है। इससे श्रापित कुंडली में कुछ योग और दोष बनते हैं। इन परिस्थितियों में जातक को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार कुंड़ली और इसके योग काफी महत्वपूर्ण होते है। मनुष्य की कुंड़ली में शुभ योग बनने पर शुभ फल मिलता है और अशुभ योग बनने पर अशुभ फल मिलता है। हालांकि कई बार ये योग इंसान की कुंड़ली को श्रापित भी कर देते है। अब यह सवाल उठता है कि आखिर कुंड़ली में दोष कैसे बनते है? इन अशुभ योग के कारण व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
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क्या होती है श्रापित कुंड़ली?
इंसान की कुंडली में एक या दो से अधिक श्राप हो सकते हैं। ऐसी कुंड़ली को श्रापित कुंडली कहा जाता है। कुंड़ली में जो श्रापित दोष होते हैं उनको काफी अशुभ माना जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को भारी नुकासान भी हो सकता है। उसको जीवन में काफी संकटों को झेलना पड़ता है।
इसके साथ ही मनुष्य के जीवन के सभी क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होते है। उसको करियर, रोजगार, वैवाहिक जीवन और संतान से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पडता है। इस प्रकार की कुंड़ली इंसान के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए इसके बुरे प्रभावों से बचने के लिए इसका उपाय बेहद जरुरी होता है।
क्या हैं श्रापित कुंड़ली के कारण
- जब किसी इंसान की कुंड़ली के किसी भाव में शनि और राहु का संयोग होता है! तो कुंड़ली श्रापित हो जाती है। इससे व्यक्ति को कई मुश्किलों को झेलना पड़ता है।
- मान्यता है कि पिछले जन्म के बुरे कर्मों के कारण भी व्यक्ति की कुंड़ली श्रापित हो जाती है।
- अगर श्रापित कुंड़ली का समय रहते उपाय नही किया जाता? तो यह पीढी दर पीढी चलती रहती है।
- इसके कारण अन्य शुभ ग्रहों का प्रभाव भी कम हो जाता है।
- कुंड़ली श्रापित होने पर जातक के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव बहुत अधिक होता है।
- अगर कुंड़ली में राहु और शनि ग्रह का संयोग पहले, चौथे, सातवें, आठवें या फिर बारहवें भाव में हो? तो भी जातक की कुंड़ली श्रापित होती है।
- इसके साथ ही अगर शनि, राहु की युति कुंडली के तीसरे, छठें या ग्याहरवें भाव में हो? तो इस दोष के नकारात्मक प्रभाव कम मिलते हैं।
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श्रापित कुंड़ली के उपाय
- सुबह जल्दी उठकर स्नाान करें।
- शनि और राहु के मंत्रों का जाप 108 बार करें।
- श्रापित दोष से मुक्ति के लिए रोजाना शिव जी पर दूध और पानी चढ़ांए।
- शनि और राहु पर काली दाल चढाने से भी काफी लाभ होता है।
- गाय और मछलियों को शुद्ध घी से बने चावल खिलाने से भी शुभ परिणाम प्राप्त होते है।
- शनिवार के दिन भगवान शिव, हनुमानजी और श्रीराम की पूजा करें।
- शानि मंत्र “ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
- राहु मंत्र “ओम् भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” का जाप भी अवश्य करें।
- जरुरतमंदो को भोजन कराएं या पैसो की मदद करें।
- किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेकर इस परेशानी से जुडे रत्न धारण कर सकते हैं।