हिंदू पंचांग के अनुसार, नरसिंह जयंती (Narasimha Jayanti 2022) वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को पूजा जाता है। हिन्दू धर्म में बहुत ही उत्साह के साथ यह पर्व मनाया जाता है। भगवान विष्णु का यह रूप आधे शेर और आधे मानव के रूप में होता है। नरसिंह का संबंध हमेशा से शक्ति और विजय का प्रतीक रहा है। धार्मिक शास्त्रों में इस दिन किया गया अनुष्ठान हजार यज्ञों के बराबर का फल देता है।
हमेशा से परमात्मा जब भक्तों को सुख देने के लिये अवतार लेते हैं! तब वह तिथि और मास भी पुण्य में शामिल हो जाते हैं। उनके केवल नाम के उच्चारण करने से ही व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। भगवान नरसिंह के समक्ष भय भी कांपने लगता है। उनकी पूजा करने से जीवन के सभी दुख-दर्द मिट जाते हैं।
नरसिंह जयंती (Narsimha Jayanti 2022) का शुभ मुहूर्त व तिथि
पंचांग के अनुसार, नरसिंह जयंती वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि को 14 मई दिन शनिवार को होगी।
शुभ मुहूर्त का प्रारम्भ दोपहर 03:23 बजे होगा।
इसका समापन 15 मई दिन रविवार दोपहर 12:46 बजे होगा।
ज्योतिष के अनुसार पूजा का मुहूर्त सुबह 10:57 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक होगा। इसका शाम का मुहूर्त 04:22 बजे 07:04 बजे तक रहेगा।
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नरसिंह चतुर्दशी का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह के स्वरूप में अवतार लिया था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप नाम के असुर का वध करने के लिए यह अवतार लिया था। हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि उसे न कोई नर मार सकता और न कोई पशु। न ही कोई अस्त्र-शस्त्र। वो न दिन में मरेगा और न ही रात में। न घर के अंदर और न बाहर। जमीन और आसमान में भी कोई नहीं मार सकता। इस घमंड के कारण उसने दहशत फैला राखी थी। वो मासूमों पर अत्याचार करने लगा। उसका एक पुत्र था प्रहलाद। वो भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था। हिरण्यकश्यप उसको विष्णु की भक्ति करने से रोकता था।
शास्त्रों के अनुसार यही वजह थी कि भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लिया। वो हिरण्यकश्यप के महल का खंबा फाड़कर प्रकट हुए थे। उन्होंने घर की दहलीज पर अपने दोनों पैरों पर हिरण्यकश्यप को लेटा लिया। भगवान नरसिंह ने अपने सिंह रूपी नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध किया था।
नरसिंह जयंती (Narsimha Jayanti 2022) के अनुष्ठान की पूजा विधि
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
- भगवान नरसिम्हा के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- मंदिर में देवताओं को नारियल, मिठाई, फल, केसर, फूल और कुमकुम जरूर चढ़ाएं।
- व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन करने से परहेज करें।
- भगवान नरसिम्हा को प्रसन्न करने के लिए पवित्र मंत्रों का पाठ करें।
| ॐ श्री लक्ष्मी-नृसिंहाय ||
| ॐ क्ष्रौं महा-नृसिंहाय नम: ||
| ॐ क्ष्रौं नमो भगवते नरसिंहाय ||
- नरसिंह जयंती के दिन जरूरतमंदों को तिल, कपड़े, भोजन और कीमती धातुओं का दान पुण्य करना काफी शुभ माना जाता है।
- भगवान नरसिम्हा की पूजा-अर्चना करने से समृद्धि, साहस और जीत का आशीर्वाद मिलता है।