Buddha Purnima 2022: वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि बौद्ध अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इस दिन को बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की जयंती का प्रतीक मानते हैं। इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती मनाते हैं। इस वर्ष गौतम बुद्ध जी की 2584वीं जयंती है। पारंपरिक कैलेंडर के अनुसार इनकी जयंती की तारीख बदलती रहती है। लेकिन हिंदू पंचांग के हिसाब से वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही को ही बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
इस साल बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2022) 16 मई को मनाई जाएगी। भगवान बुद्ध के अलावा इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है। अद्भुत संयोग से इस बार बुद्ध पूर्णिमा को चन्द्रग्रहण भी लग रहा है। इस प्रकार इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जायेगा।
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कब मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा 2022
16 मई दिन सोमवार को वैशाख की पूर्णिमा पड़ रही है।
बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 15 मई को रत 12:45 बजे से शुरू होगा।
यह 16 मई को रत 9:45 बजे तक रहेगा।
इस दिन चंद्र देव के दर्शन करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
क्या है बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल देश के लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता राजा शुद्धोदन और माता मायादेवी थी। उनको बचपन में भरपूर प्रेम मिला। उन्होंने कम उम्र में ही भौतिकवादी सुखों और अपव्यय को त्याग दिया था। उस समय उन्होंने मानवीय कष्टों को देखा। उसके बाद उन्होंने शाश्वत सत्य की खोज की। उन्होंने सांसारिक जीवन से विरक्त होकर, गया में बोधि वृक्ष के नीचे 49 दिन तक लगातार कठिन तपस्या की। 49 दिन की तपस्या के बाद उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। इस प्रकार वो बोधिसत्व कहलाए।
ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ के मृगदाव में दिया। इनके सर्वप्रथम 5 शिष्य कौंडच, वस्प, भददोदि, महानाग और अरसजि थे। भगवान बुद्ध ने हमेशा लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। यही कारण है कि बुद्ध का जन्मोत्सव केवल भारत में नहीं! बल्कि समस्त संसार में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
वैशाख पूर्णिमा को सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने व दान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2022) का क्या महत्व है
हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या का विशेष महत्व होता है। वैशाख मास की अंतिम तिथि को वैशाख पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा हुआ करते थे। वो बहुत ही दरिद्रता में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। जब वो द्वारका में श्रीकृष्ण से मिलने आए! तो भगवान ने उन्हें इस व्रत (वैशाख पूर्णिमा) के महत्व के बारे में बताया। इस व्रत के प्रभाव से सुदामा की दरिद्रता समाप्त हो गयी थी। माना जाता है कि इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। स्कंद पुराण के अनुसार, महात्मा बुध को भगवान विष्णु का नौवा अवतार माना जाता है। इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।