Pradosh Vrat 2022: हिंदू कलैंडर के अनुसार हर महीने में दो पक्ष होते हैं। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इनमे प्रदोष तिथि महीने में दो बार होती है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) पर भगवान शिव की विधिविधान से पूजा की जाती है। वैशाख में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का शिव भक्त इंतजार करते हैं।
भगवान शिव को प्रदोष व्रत बेहद प्रिय है। इस दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना करने और व्रत करने से महादेव का आशीर्वाद मिलता है। भोलेनाथ भक्तों के कष्ट हरते हैं और उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। पंचाग के अनुसार यह व्रत जिस दिन होता है! इसको उस दिन के नाम का प्रदोष व्रत कहा जाता है। जैसेकि अगर सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़े! तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस बार का व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है तो इसको शुक्र प्रदोष व्रत कहा जायेगा।
प्रदोष व्रत 2022 (Pradosh Vrat 2022) का शुभ मुहूर्त
पंचाग के अनुसार इस बार वैशाख माह में प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर 13 मई 2022, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 13 मई को शाम 5:29 बजे से शुरु होगा।
इसका समापन 14 मई 2022, शनिवार की दोपहर 3:24 बजे तक रहेगा।
व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय शाम 07:04 से 09:09 तक होगा।
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शुक्र प्रदोष व्रत 2022 का महत्व
हिंदुओं में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति मिलती है। व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी इसका विशेष महत्व है। संतान की इच्छा रखने वाली महिलाओं जल्द ही शुभ सुचना मिलती है। इस व्रत को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभदायक माना गया है। माता पार्वती और भगवान शिव की साथ में पूजा करना मुख्य रूप से फलदायी होता है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- प्रदोष व्रत में स्वच्छता और नियमों का विशेष ध्यान रखें।
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और भगवान शिव के सामने प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
- पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल में गाय का कच्चा दूध मिलाकर स्नान कराएं।
- इसके बाद पुरे विधि-विधान से शिव की पूजा-अर्चना करें। भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें।
- रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का जाप करें और शिव जी की आरती करें।
- पूजा के पश्चात् प्रसाद का भोग लगाएं और सभी को बाँटे।