हम अक्सर सुनते हैं कि घरों, दफ्तरों या दुकानों में 7 सफेद घोड़ों की तस्वीर लगानी चाहिए। वास्तु शास्त्र में, 7 घोड़ों वाली तस्वीर को बहुत ही शुभ माना जाता है। हालांकि बहुत लोग इस बात को नहीं जानते। आखिर क्यों इस तस्वीर को इतना शुभ माना जाता है।
दरअसल वास्तु शास्त्र में, दौड़ते हुए घोड़े ऊर्जा, शक्ति और तरक्की के प्रतीक माने गए हैं। इनको सकारात्मक ऊर्जा का वाहक भी माना जाता है। इस तस्वीर को जहाँ पर लगाते हैं वहां की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। व्यापार स्थल पर इसको लगाना विशेष तौर पर शुभ माना जाता है। जिस व्यक्ति की नजर इस तस्वीर पर पड़ती है! उसको अपनी कार्यप्रणाली में सकारात्मक प्रभाव मिलते हैं।
हिंदू धर्म में सात अंकों का विशेष महत्व है। इसके बहुत से उदाहरण देखने को मिल जाएंगे :
- सप्त ऋषि
- इंद्र धनुष के सात रंग
- सात जन्म
- शादी में सात फेरे
इस प्रकार की कई बातें 7 अंक के महत्व को बताती हैं।
सात घोड़ों वाली तस्वीर लगाने के कुछ तर्क
- घोड़ों की तस्वीर लगाते समय ध्यान रखें कि घोड़े लगाम में बंधे हुए नहीं होने चाहिए।
- जब तस्वीर खरीदें तो घोड़ों का मुख प्रसन्न मुद्रा में हो। वे आक्रोशित न हों।
- हमेशा घोड़ों की तस्वीर को पूर्व दिशा में ही लगाएं।
- व्यापार स्थल अपने केबिन में दौड़ते हुए घोड़ों की तस्वीर को इस तरह से लगाएं कि घोड़े अंदर की तरफ आते हुए हों।
- अक्सर घोड़ों की तस्वीर व्यापारिक संस्थान या कार्यालयों में लगाई जाती है। जब भी घर में घोड़ों की तस्वीर लगाएं! तो किसी अनुभवी वास्तुशास्त्री से पूछकर ही लगाएं।
- एक अनुभवी वास्तुशास्त्री आपके घर को देखकर ही सही जगह के बारे में मार्गदर्शन करेगा।
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सात घोड़ों की तस्वीर का क्या है रहस्य
पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि ये सात घोड़े सूर्य देव की रथ में जुड़े हैं। भगवान वरुण देव इनके रथ के सारथी बने हैं। सूर्यदेव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं! जो अपनी रोशनी से समस्त संसार को उज्वलित करते हैं। सूर्यदेव की रथ को चलाने वाले इन सात घोड़ों के नाम गायत्री, भ्राति, उष्निक, जगती, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति हैं। ऐसी मान्यता भी है कि ये सात घोड़े सप्ताह के अलग-अलग दिनों को दर्शाते हैं।
इसके साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से ये घोड़े सात रोशनी को दर्शाते हैं। सूर्यदेव के इन सात घोड़ों को इंद्रधनुष के सात रंगों से जोड़ा जाता है। अगर ध्यान से देखा जाए तो इन सातों घोड़ों के रंग एक दूसरे से थोड़े अलग होते हैं। सभी घोड़े एक दूसरे से अलग नजर आते हैं।
उड़ीसा में सुर्य भगवान का कोणार्क मंदिर बना है। उसमे सात घोड़े रथ में जुड़े हुए हैं। उस रथ के सारथी अरुण देव हैं। वो सात घोड़े सात दिन को दर्शाते हैं। उस रथ के पहिये में बारह पंखुड़ी लगी हैं जो साल के बारह महीने बताती है। इसके साथ ही सम्पूर्ण रथ का पहिया पुरे साल को दर्शाता है।