ज्योतिष शास्त्र में बहुत से ग्रहों की भूमिका होती है। सब ग्रहों का विभिन्न राशि के साथ अलग व्यवहार होता है। ऐसा माना जाता है कि अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के गृह होते है। इन ग्रहों में एक नाम राहु और केतु का भी आता है। इनका नाम सुनते ही लोग डरने लगते हैं। क्योंकि इनको पापी ग्रह माना जाता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में 9 ग्रहों को दर्शाया गया है। इनमे राहु और केतु को छाया ग्रह के रूप में जाना गया है। सूर्य और चन्द्रमा पर ये दोनों ही ग्रहण लगाते हैं।
राहु-केतु की उत्त्पत्ति कब और कैसे हुई
एक पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यों और देवताओं के बीच सागर मंथन हो रहा था। उस दौरान मंथन से निकलने वाली चीज़ों को दोनों में बांटा जाता था। जब सागर मंथन चल रहा था तो उसमे से अमृत निकला। उस अमृत को पी लेने से अमरता हासिल हो जाती। इसको लेकर दैत्यों और देवताओं में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। ऐसे में सवाल था कि उसको वितरण कैसे किया जाये। क्योकि देवता नहीं चाहते थे कि उस अमृत को दैत्य पियें।
फिर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। उन्होंने दैत्यों और देवताओं को एक पंक्ति में बिठा दिया। एक तरफ दैत्य तो दूसरी तरफ दानव। यहाँ पर मोहिनी रूप धारण किये विष्णु भगवान ने दैत्यों के साथ छल किया। वो देवताओं को अमृत-पान कराते रहे और दैत्यों को मंदिरा-पान। एक दैत्य को इसकी भनक लग गई। उनमे से दैत्य अपना भेष बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया। उसने देवताओं को चकमा देकर अमृत पान कर लिया। हालांकि उस दैत्य का छल सूर्य और चंद्र देव से छुप नहीं सका। इस छल का दंड देने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उस दैत्य की गर्दन काट दी।
उस दैत्य के शरीर के दो हिस्से होने के बाद भी वो जीवित रहे। उस दैत्य का सिर वाला भाग राहू और धड़ से नीचे वाला भाग केतु के नाम से जाना गया। इस तरह से राहु और केतु का जन्म हुआ था।
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क्यों राहु-केतु पापी ग्रह कहलाते हैं
ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रह को पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है। राहु और केतु अक्सर हमेशा एक साथ ही राशि परिवर्तन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर ये दोनों बिगड़ जाएं तो ये आपके जीवन को बदतर बना देते हैं। जीवन में परेशानियां बनी रहती है। ये दोनों ग्रह मिलकर कुंडली में काल सर्पयोग का निर्माण भी करते हैं। अगर किसी की कुंडली में अशुभ दशा में हो तो इसका बहुत बुरा प्रभाव भुगतना पड़ सकता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को धड़ के ऊपरी हिस्से में कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है? तो वो राहु की कुदृष्टि हो सकती है। धड़ के नीचले हिस्से में कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो, तो वह केतु की कुदृष्टि हो सकती है।
वहीं अगर देने पर आएं तो ये दोनों ग्रह गरीब को भी अमीर बना देते हैं। जीवन में सुख- शांति का माहौल बना देते हैं। सब कुछ इनकी मनोदशा पर आधारित होता है। जब ये किसी विशेष कुंडली पर मेहरबान होते है तो उस व्यक्ति के जीवन को अपार खुशियों से भर देते है।
राहु और केतु ग्रह के दुष्प्रभाव
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु की महादशा चल रही हो? तो व्यक्ति को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर कुंडली में इनकी स्थिति अच्छी है? तो ये व्यक्ति को काफी फायदा भी पहुंचा सकता है।
- जब भी किसी कुंडली में राहु की वक्री दृष्टि पड़ती है! तो जीवन में अनेक संकट आने लगते हैं। ऐसे में इंसान का दिल और दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता। वो उल्टे सीधे या गलत फैसले करने लगता है। केतु भी स्वभाव से एक क्रूर ग्रह माना जाता है। लेकिन इसके दुष्प्रभाव राहु की तुलना में थोड़े कम होते हैं।
- राहु को धोखेबाज, ड्रग विक्रेता, विष व्यापारी, निष्ठाहीन और अनैतिक कार्यों का प्रतीक माना जाता है। राहु की वजह से अक्सर पेट में अल्सर, हड्डियों से संबंधित परेशानीयां और नौकरी में ट्रांसफर जैसी समस्याएं आती हैं। वहीं केतु ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, जैसे मानसिक गुणों का कारक माना जाता है। अगर कुंडली में केतु अच्छी स्थिति में हो तो जातक को इन क्षेत्रों में लाभ मिलता है। खराब स्थिति में हो तो नुकसान भी पहुंचाता है।
राहु ग्रह के लिए उपाय
- इस ग्रह की दशा से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार के दिन व्रत करना चाहिए। इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम हो जाता है।
- मीठी रोटी कौए को खिलाएं। ब्राह्मणों या गरीबों को चावल खिलायें।
- राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की मदद करें।
- किसी गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी में योगदान कर सकते है।
- अगर राहु की दशा हैं? तो अपने सिरहाने पर जौ रखकर सोयें और सुबह उसका दान कर दें।
केतु ग्रह के लिए उपाय
- इस ग्रह की दशा में व्यक्ति को कंबल, लोहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु दान करनी चाहिए।
- केतु से सम्बंधित रत्न का दान भी उत्तम होता है। बड़े बुजुर्गों की सेवा करने से केतु के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
- अगर केतु की कुदृष्टि संतान को भुगतनी पड़ रही है? तो मंदिर में जरूरतमंदों को कम्बल का दान करना चाहिए।
- मंगलवार व शनिवार के दिन व्रत रखने से भी केतु की दशा शांत हो जाती है।
- कुत्ते को भोजन खिलाएं। ब्राह्मणों को भात खिलाने से भी केतु की दशा में सुधार आएगा।