महावीर जयंती 2022: हिंदू धर्म के साथ जैन धर्म में भी महावीर जयंती को माना जाता है। खासतौर पर यह त्योहार जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा बेहद ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान महावीर का जन्म हुआ था। ये जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर रहे। ये बचपन से ही तपस्या में लीन रहते थे। इन्होने 12 वर्ष के कठोर तप से ज्ञान प्राप्त किया। इस तप से इन्होने अपनी इंद्रियों तथा भावनाओं पर विजय पा ली थी। बचपन से ही महावीर निडर स्वभाव के थे। “बाल्य अवस्था में उन्होंने बिना किसी डर के एक भयानक जहरीले सांप को अपने काबू में कर लिया था। इसलिए उन्हें महावीर के नाम से पुकारा जाने लगा।”
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महावीर जयंती क्या है
यह पर्व स्वामी जी का जन्मदिन मनाकर किया जाता है। स्वामी जी का जन्म 599 ईसा पूर्व हुआ था। इनको जैन धर्म का संस्थापक कहा जाता है। जैन धर्म के ग्रंथों में इनके द्वारा दी गई शिक्षा का वर्णन देखा जा सकता है। जैन धर्म सभी धर्मों में सबसे प्राचीन धर्म है। भगवान महावीर हमेशा हिंसा के विरुद्ध थे। स्वामी जी का सिद्धांत था कि किसी को भी बिना कष्ट पहुंचाए अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए। उन्होंने अपने जीवनकाल में लोगों को हमेशा सत्य का साथ देने के लिए लिए प्रेरित किया। महावीर जयंती को अस्तेय और ब्रह्मचर्य के सिद्धांत का ज्ञान देने वाला पर्व माना जाता है।
महावीर जयंती 2022 शुभ तिथि और मुहूर्त
शुभ तिथि 2022 : गुरुवार, 14 अप्रैल
पूजा शुभ मुहूर्त आरंभ : त्रयोदशी तिथि – 14 अप्रैल पर, सुबह 04:49 बजे होगा।
शुभ मुहूर्त समाप्त – सुबह 03:55 बजे 15 अप्रैल तक।
महावीर जयंती 2022 का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, राजा सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के राज्यकाल के दौरान महावीर जी का जन्म हुआ था। अब यह जगह बिहार राज्य के नाम से जानी जाती है। महावीर के जन्म के 14 दिन पश्चात रानी त्रिशला को एक स्वप्न आया था। इस स्वप्न में भविष्यवाणी हुई कि जो बालक जन्म लेगा! वो भविष्य में एक तीर्थंकर से जाना जायेगा। वो आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करके समाज को धर्म का मार्ग दिखाएगा।
स्वामी महावीर सभी प्राणियों को एक समान दृष्टि से देखते थे। उन्होंने 12 वर्षों की कठोर तपस्या से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया था। इस तप के दौरान उन्हें कई समस्याओं और कष्टों का सामना करना पड़ा था। इन्होने देश के कोने-कोने में जाकर अपना पवित्र संदेश लोगों तक पहुँचाया। वो हमेशा लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते थे। इस दिन कोलकाता के जैन मंदिर और बिहार के पावापुरी मंदिर में बड़े स्तर की पूजा का आयोजन किया जाता है। भक्त पूरी आस्था और श्रद्धा से आराधना करते हैं।
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स्वामी महावीर जी के पांच सिद्धांत
महावीर जी ने पंचशील के सिद्धांतों के बारे में बताया है। उनका मानना था कि ये सिद्धांत व्यक्ति को सुख और समृद्धि पूर्ण जीवन की ओर ले जाएंगे।
- अहिंसा – महावीर जी अहिंसा के पुजारी थे। वो कहते थे कि प्रत्येक मनुष्य को हिंसा का त्याग कर देना चाहिए। सभी के प्रति समानता व प्रेम का भाव रखना चाहिए।
- सत्य – स्वामी जी का कहना था कि प्रत्येक मनुष्य को सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। चाहे कैसी भी स्थिति उत्पन्न हो हमेशा सच्चाई पर अटल रहें। सच्चाई के सहारे विपरीत परिस्थितियों में भी मनुष्य सभी कठिनाइयों का समना कर लेता है।
- अपरिग्रह – इस बारे में महावीर जी कहते थे कि किसी भी मनुष्य को आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह नहीं करना चाहिए। ऐसे में व्यक्ति को दुखों से कभी भी मुक्ति नहीं मिलती। व्यक्ति को सुख और शांतिमय जीवन जीने के लिए आवश्यकता के अनुसार ही संचय करना चाहिए।
- अस्तेय – महावीर जी का चौथा सिद्धांत था अस्तेय। इसको पालन करने वाले व्यक्ति अपने जीवन में हमेशा संयम से काम लेते हैं। अस्तेय अर्थात चोरी नहीं करना। चोरी का मतलब सिर्फ भौतिक चीजों की चोरी ही नहीं होता बल्कि दूसरों के प्रति बुरी नियत भी है। इससे इंसान को बचना चाहिए। यह हर मनुष्य को मन की शांति प्रदान करेगा।
- ब्रह्मचर्य – ब्रह्मचर्य के बारे में बहुत ही अमूल्य उपदेश दिया गया है। उन्होंने ब्रह्मचर्य को एक उत्तम तपस्या बताया है। ब्रह्मचर्य मोह माया को छोड़कर अपनी आत्मा में लीन होने की एक प्रक्रिया है। इसको अपनाने से भी मन की शांति प्राप्त होती है।
सदियों से महावीर जी इन उपदेशों को लोगों तक पहुंचते आए हैं। जिससे लोग सही राह पर चल सकें। उन्होंने अहिंसा को सबसे सर्वश्रेष्ठ गुण बताया है। उन्होंने मनुष्य एवं प्रकृति के साथ प्रेम और सद्भाव से रहने पर जोर दिया है।