हिंदू पौराणिक कथाओं और वेदों में हमारे पूर्वजों के बारे में व्याख्या की गई है। पूर्वजों के स्वर्गवास के उपरांत उनके द्वारा किए गए बुरे कर्मों का फल हमे अब भोगना पड़ता है। इसको पितृ दोष कहा जाता है। इसके बहुत कारण हो सकते है। अगर किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए? या मृत्यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाये! तो उस व्यक्ति से जुड़े परिवार के लोगों को पितृ दोष का आघात कई पीढ़ियों तक झेलना पड़ता है।
पितृ दोष या पैतृक कर्म मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अक्सर कहा जाता है कि पूर्वजों की मृत्यु के पश्चात् श्राद्ध और पिंडदान करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं करते? तो व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को कष्ट होता है। उनको जीवन में हर छोटी या बड़ी चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है। हालाँकि कभी-कभी विचार आता है कि हमारे पूर्वज हमसे नाराज़ कैसे हो जाते हैं। जिससे हमे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। या फिर वो हमे किसी भी कारण से हमें दंडित करते हैं।
हम इसको वैज्ञानिक दृष्टि से “जेनेटिक्स” के आधार पर समझ सकते हैं। जिस प्रकार आनुवंशिक रोग पिता या माता से उनके बच्चों में होता है! उसी प्रकार अपने पूर्वजों द्वारा जीवन में किए गए कर्मों की कीमत चुकानी पड़ती है। फिर चाहे वो अच्छे हों या बुरे। यही पितृ दोष की परिभाषा है।
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आखिर किस वजह से होता है पितृदोष
अक्सर हम अपने जीवन को सफल बनाने के लिए बेहतर प्रयास करते हैं। इतनी मेहनत करने के बावजूद भी दैनिक जीवन में बहुत बाधाओं का अनुभव करना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप हम अपनी इच्छाओं को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। कई बार हम अपने सौभाग्य को दोष देते है। ऐसे में लोगों को पितृ दोष के बारे में जागरूक होना चाहिए। हमारा मतलब है जिन लोगों को अपने दैनिक जीवन में समस्याओं या बाधाओं का सामना करना पड़ता है! यह उनकी कुंडली में पितृ दोष की उपस्थिति का कारण भी हो सकता है। किन कारणों से हो सकता है यह दोष:
- पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार या फिर श्राद्ध का न होना।
- अपने पितरों की विस्मृति या उनका अपमान करना।
- किसी पीपल, नीम और बरगद के पेड़ को काटना।
- अपने धर्म के विरुद्ध जाकर आचरण करना।
- किसी नाग को मारना इत्यादि।
पितृ दोष के क्या प्रभाव होते हैं
- पितृ दोष होने पर व्यक्ति को संतान का सुख प्राप्त नहीं होता। अगर संतान सुख मिलता भी है? तो वो विकलांग, मंदबुद्धि या फिर चरित्रहीन होती है। कई बार तो बच्चे की पैदा होते ही मृत्यु भी हो जाती है।
- नौकरी और व्यवसाय में अधिक मेहनत करने के बावजूद भी हानि होती रहती है।
- परिवार में हमेशा कलह की स्थिति बनी रहती है। शांति का अभाव बना रहता है।
- घर में कोई न कोई व्यक्ति हमेशा अस्वस्थ रहता है। बेहतर इलाज करवाने के बाद भी
- कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
- परिवार में विवाह का कोई योग नहीं बन पाता। जिससे किसी लड़के या लड़की की शादी नहीं हो पाती।
- कई बार विवाह होने के बाद तलाक हो जाता है।
- पितृदोष होने पर व्यक्ति बार-बार किसी दुर्घटना का शिकार होता रहता है।
- व्यक्ति के जीवन में मांगलिक कार्यों में आकर बाधाएं आती रहती हैं।
- परिवार के सदस्यों को लगता है कि उन पर किसी प्रेत का साया है। जिससे घर में अक्सर तनाव बना रहता है।
अब प्रश्न यह उठता है कि पितृ दोष को दूर करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए
- अगर कुंडली में पितृ दोष हो? तो दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो लगाकर उनका स्मरण करना चाहिए। उनका आशीर्वाद मिलने से इस दोष का प्रभाव समाप्त होने लगेगा।
- अपने पूर्वजों के निधन वाली तिथि पर ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक भोजन करवाएं। उन्हें आवश्यक वस्तुओं का दान भी करें।
- घर के पास लगे किसी पीपल के पेड़ पर दोपहर के समय जल चढ़ाएं। फूल, दूध, गंगाजल और काले तिल भी चढ़ाएं।
- शाम के समय रोजाना दक्षिण दिशा की तरफ एक दीपक जरूर जलाएं। रोजाना संभव न हो तो कम से कम पितर पक्ष में जरूर जलाएं। पितृपक्ष में ॐ पितृय: नम:’ मंत्र का जाप करें।
- किसी गरीब कन्या का विवाह कराने या विवाह में उनकी मदद करने से भी लाभ होता है।
- प्रतिदिन भगवान शिव के ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का एक माला के साथ जाप करें।