इंद्र योग: आज के दौर में मानव जीवन में ज्योतिष अहम् भूमिका निभाता है। क्योकि इंसान के जीवन से संबंधित सभी भविष्यवाणियां ज्योतिष द्वारा ही बताई जाती हैं। वो मनुष्य की कुंडली के माध्यम से अच्छे या बुरे समय की भविष्यवाणी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इंसान की कुंडली में कई योग भी बनते हैं। इनसे जातक के जीवन में काफी बड़े बदलाव होने लगते हैं। ये शुभ या अशुभ दोनों प्रकार के योग हो सकते हैं। दोनों का अलग-अलग महत्व होता है। इनमे एक इंद्र योग भी आता है। यह काफी शुभ माना जाता है। इस योग के कुंडली में बनने पर व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
इंद्र योग इंसान के जीवन में अच्छे समय को दर्शाता है। इस योग में राज्य पक्ष के रुके कार्य पूर्ण हो सकते हैं। मान्यता है कि इस योग के दौरान हर कार्य सफल होते हैं। इंद्र योग हमेशा शुभ योगों की श्रेणी में आता है। यह योग जातक को जीवन में सफलता की ओर ले जाता है। इससे करियर में काफी तरक्की मिलती है। इस योग में जन्म लेने वाले लोग काफी धनवान और भाग्यशाली माने जाते है।
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कैसे बनता है कुंडली में इंद्र योग
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- अगर लग्न का स्वामी मिथुन, नवांष् में एकादश भाव में चतुथेंश से युक्त हो? तब इन्द्र रोग बनता है।
- तुला लग्न और इन्द्र योग में जातक को बहुत मान प्राप्त होता है। वो हमेशा न्याय और धैर्य के मार्ग चलता है।
- इस योग के बनने पर जातक को धन लाभ भी होता है।
- इस योग की कुंडली वाले जातक काफी चतुर और बुद्धिमान होते हैं।
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा से तीसरे स्थान पर मंगल हो और सातवें भाव पर शनि विराजमान हो? इसके अलावा शनि से सातवें भाव में शुक्र मौजूद हो और शुक्र से सातवें भाव में गुरु हो! तब भी इंद्र योग बनता है।
- दूसरी तरफ यदि कुंडली के पांचवे भाव में चंद्रमा स्थित हो और पंचमेश एकादश भाव के स्वामी का स्थान परिवर्तन होता है! तब भी इंद्र योग का निर्माण होता है।
ज्योतिष शास्त्र और इसमें दर्शाए योग
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ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के भविष्य को जानने के लिए उसके हाथ की रेखाएं देखी जाती हैं। ठीक उसी प्रकार व्यक्ति की ग्रह दशा को जानने के लिए कुंडली को देखा जाता है। कुंडली में कुछ ऐसे योग बनते हैं, जो मनुष्य के लिए शुभ और अशुभ परिणाम लेकर आते हैं।
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क्या होते हैं ये योग? दरअसल सूर्य और चंद्रमा की दूरियों की स्थिति को योग कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में 27 योग बताए गए हैं। इनमे 9 योग अशुभ होते हैं और बाकी सब शुभ योगों की श्रेणी में आते हैं। ये सभी योग दूरियों के आधार पर बनते हैं। इन 27 योगों के नाम इस प्रकार है:-
- विष्कुम्भ
- प्रीति
- आयुष्मान
- सौभाग्य
- शोभन
- अतिगण्ड
- सुकर्मा
- धृति
- शूल
- गण्ड
- वृद्धि
- ध्रुव
- व्याघात
- हर्षण
- वज्र
- सिद्धि
- व्यतिपात
- वरीयान
- परिध
- शिव
- सिद्ध
- साध्य
- शुभ
- शुक्ल
- ब्रह्म
- इन्द्र
- वैधृति